Kumaon Mandal Ka Ek Pari

chay कुमाऊं मंडल का एक परिचय


पूर्व काल में मानव खंड के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड का पूर्वी भाग वर्तमान में अल्मोड़ा बागेश्वर चंपावत नैनीताल एवं उधम सिंह नगर जनपद शामिल है कुमाऊ के नाम से जाना जाता है पूर्व काल में नाव जातियों की प्रधानता रही। आज भी कुमाऊं में बेरीनाग, नाग देवता, काली नाग, कर्कोटक जैसे उपलब्ध है। कुमाऊं में चंद्रवंशी राजाओं का शासन रहा है। तुम चंद्र इस वंश का प्रथम राजा हुआ। 700 ईसवी में सोमचंद गद्दी पर बैठा और चंपावत को अपनी राजधानी बनाई। चंद्र वंश का सबसे कमजोर राजा वीणा चंद्र रहा जिसे खस जाओ ने पराजित कर दिया था 200 वर्ष तक कुमाऊं में खस राजा का शासन हुआ करता था उनके अत्याचारों से त्रस्त होकर कुंवर वीर चंद्र ने नेपाल जाकर गुड़गांव से मदद मांगी। फिर से चंद वंश का शासन आ गया। चंद राजाओं में चढ़ती चंद सेल्फी राजा था। कुमाऊं पर कई बार मुगलों ने आक्रमण किया नवाब अली मोहम्मद खाने अल्मोड़ा के निकट कई मंदिर और मूर्तियां खंडित की। परंतु प्रतिकूल जलवायु के कारण वे यहां टिक नहीं पाए और कुमाऊ का अंतिम राजा महेश चंद्र था कोटा से युद्ध में वह परास्त होकर संभाल पाया और इस क्षेत्र में गोरखा का शासन आ गया।




1815 में संगोली की संधि के बाद ब्रिटिश गढ़वाल और कुमाऊं दोनों को मिलाकर कुमाऊं प्रोविंस का गठन किया गया। इस तरह से कुमाऊं टिहरी रियासत और देहरादून उत्तराखंड के 3 इकाई हो गई। बाद में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा कुमाऊं को दो जनपद में बांटा गया कुमार तथा ब्रिटिश गढ़वाल। बाद में कुमाऊं को ही इस जनपद और तराई नाम से बनाया गया। कुमाऊं एवं तराई के स्थान पर मोड़ा एवं नैनीताल जनपद बना दिए गए। 45 में देश की स्वतंत्रता के बाद यह क्षेत्र में ब्रिटिश उपनिवेश से मुक्त होकर भारतीय गणराज्य का हिस्सा बन गया।


भारत चीन युद्ध के समय 1962 के बाद अल्मोड़ा जनपद के सुर क्षेत्र को पृथक करके पिथौरागढ़ जनपद में शामिल किया गया। सन 1970 में अल्मोड़ा तथा नैनीताल को मिलाकर कुमाऊं मंडल का गठन किया गया। नैनीताल जनपद को विभक्त कर उधम सिंह नगर नाम से नए जनपद का गठन किया गया और सन 1997 में पिथौरागढ़ से चंपावत तथा अल्मोड़ा से बागेश्वर को अलग करके नए जनपद बनाए गए।



प्रागैतिहासिक काल में पूरा ऑफिस घुमाओ की धरती पर भी विद्यमान थे लघु डीआर की भित्ति चित्र आज भी देखे जाते हैं। प्रकृति ने कुमाऊं को मुक्त हस्त से प्राकृतिक सुंदरता उपहार में दिए गरुड़ घाटी सोमेश्वर सभी घटिया समृद्धि का प्रतीक है।


कुमाऊं का शब्द परिचय,: कुमाऊं पूर्वांचल शब्द का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है कूर्म की भारती आंचल।


कुमाऊं मंडल की प्रशासनिक व्यवस्था


सन 18 से 4 में गुड़गांव ने गढ़वाल की राजा को हराकर इस क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। कुमाऊं क्षेत्र 1790 महीपुर का शासन के अधीन आ चुका था। इस तरीके से पूरा उत्तराखंड गुड़गांव के अधीन आ गया सन 18 सो 15 में अंग्रेजों ने गोरखा को मैं हरा दिया और रंगोली की संधि किस अर्थ के अनुसार टिहरी रियासत वर्तमान समय में उत्तरकाशी एवं टिहरी जनपद तथा रुद्रप्रयाग जनपद की जखोली तहसील का पूरा क्षेत्र गढ़वाल की राजा सुदर्शन शाह को साफ कर बाकी पूरे उत्तराखंड पर अंग्रेजों ने अपना अधिकार कर लिया जो अपने इस क्षेत्र में प्रशासन चलाने के लिए पट्टी और प्रगने बनाए। पट्टी स्तर पर राजस्व पुलिस पटवारी की नियुक्ति की गई जो प्रशासन की सबसे छोटी इकाई थी।


1947 में देश के स्वतंत्र होने के बाद से 24 फरवरी सन 1960 तक कुमाऊँ अल्मोड़ा तथा नैनीताल dudh जनपद थे और उस समय गढ़वाल में भी दो जनपद पर टेहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल फॉर्मूला टिहरी पौड़ी जनपदों को सीमांत तहसील के क्रम में पिथौरागढ़ उत्तरकाशी चमोली के नए सीमांत जनपदों में इस प्रकार उत्तराखंड में उस समय देहरादून सहित आठ जनपद हो गए इन जनपदों की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्वतीय विकास का गठन किया की तराई वाले भाग उधम सिंह नगर 1997 में पिथौरागढ़ को चंपावत अल्मोड़ा को बागेश्वर तथा पौड़ी को रुद्रप्रयाग तहसील को मिलाकर नए जनपद बनाए गए।