अव्यय की परिभाषा और अव्यय के भेद
जिसमें व्यय विकार परिवर्तन ना हो उसे वे कहते हैं।
अव्यय की परिभाषा ऐसे शब्द दिन में लिंग वचन पुरुष कारक आदि के कारण कोई विकार नहीं आता उसे अव्यय जी सदैव अपरिवर्तित अविकारी एवं अवयव रहते हैं। इनका मूल रूप स्थिर रहता है कभी बदलता नहीं जैसे आज का इधर किंतु परंतु क्यों जब तक और इसलिए आदि।
अव्यय के भेद
आंवले के चार भेद है क्रिया विशेषण संबोधन समुच्चयबोधक एवं एवं विस्म्यादीबोध।
क्रिया विशेषण
जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं। अर्थ की दृष्टि से क्रिया विशेषण चार प्रकार के होते हैं। स्थान वाचक, कालचक्र, परिणाम वाचक, रीतिवाचक
स्थान वाचक जिस क्रिया विशेषण से चिड़िया की स्थिति या दिशा का बोध हो उसे स्थान वाचक विशेषण कहते हैं जैसे हम बाहर जाएं तुम दाई मोड़ो स्थिति का बोध कराने वाली क्रिया विशेषण कहां का उत्तर बताते हैं
जैसे प्रश्न हम कहां जाएं
उत्तर हम बाहर जाएंगे दिशा का बोध कराने वाली क्रिया विशेषण किधर का उत्तर बताने वाली है।
कालवाचक जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के काल अर्थात कब का उत्तर का बोध हो उसे कालवाचक क्रिया कहते हैं मेरे भाई का आज बर्थडे है गाड़ी अभी खुलेगी आती।
परिणाम वाचक जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के परिणाम अर्थात कितने का उत्तर का बोध हो उसे परिणाम वाचक क्रिया कहते हैं जैसे बहुत बोलती है।
रीतिवाचक जिस क्रियाविशेषण से क्रिया की रेती अर्थात कैसे का उत्तर का बोध होता है उसे वाचक क्रिया विशेषण कहते हैं जैसे सेना पैदल चलती है और कैसे पैदल मैं यथासंभव मदद करूंगा प्रश्न कैसे उत्तर यथासंभव।
मूल क्रिया विशेषण जो क्रियाविशेषण किसी दूसरे शब्द से नहीं बने मूल क्रिया विशेषण कहलाती है जैसे यहां इधर आज आदि।
योगी क्रिया विशेषण जो क्रिया विशेषण किसी दूसरे शब्द की सहायता से बनते हैं योगिक क्रिया विशेषण कहते हैं जैसे रात भर हर बार यहां तक, बारी-बारी आदि।
योगी क्रिया विशेषण तीन प्रकार से बनते हैं शब्द भेद प्रत्यय या शब्दार्थ जोड़ने से शब्दों की ध्रुव अति और भिन्न-भिन्न शब्दों के मेल से।
संबंधबोधक
जो अब यह किसी संध्या के बाद आकर संध्या का संबोध वाक्य के दूसरे शब्द से निकल आते हैं उन्हें संबोधन कहते हैं। जैसे बहुत दिन भर काम करता रहा मैं विद्यालय तक गया मनीष पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता आदि।
अर्थ की दृष्टि से संबोधन अव्यय के भेद
कालचक्र
स्थान वाचक
दिशा वाचक
कार्य कारण वाचक
विषय वाचक
मित्रता वाचक
विनिमय वाचक
सादृश्य वाचक
विरोध वाचक
साहचर्य वाचक
संग्रह वाचक
तुलना वाचक
रूप की दृष्टि से संबंध वाचक अव्यय के भेद
मूल संबंधवाचक अवव्य संबंधवाचक किसी अन्य शब्द से नहीं बनाया जाता है वह मूल संबंधबोधक अव्यय कहलाता है जैसे ताक, के बिना आदि।
योगिक संबंधवाचक अव्यय जो संबंधवाचक किसी अन्य शब्द से बनाया जाता है वह योगिक संबंधवाचक अव्यय कहलाता है जैसे के नाम बदले की लेख आदि।
समुच्चयबोधक
दो शब्द का अभियान सोया वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अव्यय कहे जाते हैं राम और श्याम दोनों भाई है सच बोलना और किसी की परवाह ना करना उसकी छाती है सूरज निकला और चिड़िया बोलने लगी।
प्रयोग के आधार पर समुच्चयबोधक अव्यय मूलतः दो प्रकार के होते हैं।
समानाधिकरण और व्यधीकरण
समानाधिकरण अव्यय में संयोजक विभाजक विरोधक दर्शक दर्शक, कारण वाचक, उद्देश्य वाचक, संकेतवाचक और रूपक वाचक का प्रयोग होता है।
रचना की दृष्टि से समुच्चयबोधक अव्यय दो भेद होते हैं जैसे
रूड समुच्चयबोधक अव्यय
इस समुच्चयबोधक अव्यय में और एवं कि यदि आदि योगिक ऐसा म्यूजिक बोधगया क्योंकि यद्यपि तथापि ना ना दो तो आदि का प्रयोग होता है।
समुच्चयबोधक अव्यय के विशिष्ट प्रयोग
और एवं कि ऐसे समुच्चयबोधक हैं जिनका प्रयोग कई स्थितियों में होता है जैसे और की क्या जरूरत है, और काम मत करो।
की संयोजक राधा ने खाना शुरू किया था कि बच्चा रो पड़ा, आप जाएंगे या नहीं आदि।
विस्मयादिबोधक
विस्मयादिबोधक का अर्थ है इसमें आश्चर्य आदि भावों का बोध कराने वाला। जिन अव्यय से आश्चर्य, हर्ष, शोक, घराना आदि का उत्पन्न होता है।
विस्मय आदि अव्यय के निम्न भेद हैं
विषय बोधक क्या! ओहो!
हर्ष बोधक वाह!
शोक बोधक हाय!
शिव कार बोधक हां जी!
तिरस्कार बोधक हट!
अनुमोदन बोधक ठीक! अच्छा!
संबंधबोधक अरे!
विशेष कहीं-कहीं संज्ञा विशेषण क्रिया एवं क्रिया विशेषण विस्मयादिबोधक के रूप में प्रयुक्त होते हैं जैसे
संध्या भगवान! सबका कल्याण हो।
निपात मुख्य रूप से निपात प्रयोग प्रयोग के लिए होता है लेकिन यहां शुद्ध अव्यय नहीं होते हैं। इनका कोई लिंग वचन नहीं होता है निपात ओं का प्रयोग निश्चित शब्द शब्द समूह या पूरे वाक्य को अन्य हावड़ा प्रदान करने के लिए होता है। निपात शायद शब्द होते हैं और उनका वाक्य अंग नहीं होता है इनका प्रयोग इस वाक्य को समर्थ अर्थ देने के लिए जाता है निपात 9 प्रकार के होते हैं।
स्वीकृति बोधक
नकार बोधक
निषेधात्मक
प्रश्न बोधक
विस्मयादिबोधक
तुलना बोधक
अवधारणा बोधक
आदर बोधक
बल प्रदायक
हिंदी में अधिकांश निपात उस शब्द या समूह के बाद आते हैं जिनको विशिष्ट या बल प्रदान करते हैं जैसे रमेश ने ही मुझे मारा था।
अव्यय का पद परिचय वाक्य में अव्यय का पद परिचय देने के लिए अवश्य उसका भी उस से संबंध रखने वाला पद इतनी बातों का उल्लेख करना चाहिए जैसे वह धीरे धीरे चलता है।
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